रविवार, 4 अप्रैल को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सरकारी आवास पर पशुपालन और दुग्ध विकास विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने निराश्रित गोवंश संरक्षण केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठोस और कारगर प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि इन केंद्रों में गोबर से बने प्राकृतिक पेंट का प्रयोग सरकारी भवनों में किया जाए और ऐसे पेंट प्लांट्स की संख्या में भी इजाफा किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुपालन और दुग्ध विकास प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक सशक्त स्तंभ है। यह केवल दुग्ध उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र आजीविका, पोषण सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने तकनीक, निवेश और नवाचार को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर दिया।
बैठक में सीएम को जानकारी दी गई कि वर्तमान में प्रदेश के 7,693 गो आश्रय स्थलों में 11.49 लाख निराश्रित गोवंश का संरक्षण किया जा रहा है। इन आश्रय स्थलों की निगरानी CCTV कैमरों से की जा रही है और नियमित निरीक्षण भी हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने इन आश्रय स्थलों में केयरटेकर की तैनाती, समय पर मानदेय का भुगतान, भूसा बैंक की स्थापना, स्वच्छ पानी, हरे चारे और चोकर की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही, पशु चिकित्सकों की नियमित विजिट भी सुनिश्चित कराने को कहा गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन गरीब परिवारों के पास पशुधन नहीं है, उन्हें ‘मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना’ के तहत गायें उपलब्ध कराई जाएं। इससे एक ओर जहां परिवारों को गोसेवा का अवसर मिलेगा, वहीं दूसरी ओर दूध मिलने से उनके पोषण स्तर में भी सुधार होगा।
सीएम को बताया गया कि वर्ष 2024-25 में प्रदेश में दुग्ध उपार्जन 3.97 लाख लीटर प्रतिदिन (LLPD) दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 10% अधिक है। दुग्ध उत्पादकों की सदस्यता में 8% की वृद्धि हुई है और 24,031 उत्पादकों को प्रशिक्षण दिया गया है। वित्तीय दृष्टि से टर्नओवर ₹1,120.44 करोड़ तक पहुंच गया है, जो गत वर्ष से 16% अधिक है। वाराणसी, अयोध्या, बरेली, मिर्जापुर, मथुरा और बस्ती जनपदों के प्रमुख दुग्ध संघों को कुल ₹818.22 लाख का लाभ हुआ है।
सीएम ने दुग्ध उत्पादन को और अधिक बढ़ाने, प्राथमिक सहकारी समितियों की संख्या में वृद्धि करने और सदस्यों को व्यापक प्रशिक्षण देने की आवश्यकता बताई। वर्ष 2025-26 के लिए 4,922 नई सहकारी दुग्ध समितियों के गठन और 21,922 समितियों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।